स्वदेशी-एक बार तब जीते थे, एक बार अब फिर जीतेंगे.

प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित। इतिहास के पन्नो को अगर दोहराया जाये तो हम जानेंगे कि हर एक दशक में तबाही ने अपने रंग दिखाये है। ऐसे वक़्त में कुछ लोग अपने हालातों से लड़ नहीं पाये तो कुछ आगे बढ़ कर अपने देश को बचाने के लिए आये। अगर हम उन दिनों की बात करे जब भारत आज़ादी के
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