Category Archives: कविताएँ

सुन लो मेरी बात

रुकी हूँ अगर आज
रुकूँगी नहीं कल
हारी हूँ अगर आज
हारूँगी नहीं कल

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जल ही जीवन है, जल बिन जीवन संभव नहीं

रंजू गुप्ता द्वारा लिखी कविता सेव वाटर ,सेव एनर्जीकब तक करते रहेंगे अपनी मनमर्ज़ीजल को वयर्थ न गँवायअब तो अपनी चेतना को चेताय पूर्वजों से मिला है जो खज़ानाक्यों इसको व्यर्थ में लुटानाजल नहीं है रिन्यूएबल रिसोर्सबेकार न करे एक भी ड्रॉपपानी नहीं बचाएगेंतो आने वाली पीढ़ी को क्या दे जाएगें प्रकृति का क़र्ज़ चुकाना हैअपने हिस्से का जल ही

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मुझे जीने दो …

शैली कपिल कालरा द्वारा लिखी एक कविता तेज बारिशचादर से ढक कर लायीमुझे है दाईमाँ के पास रखते हुए बोलीतूने लड़की है जनाईमैं निडरअनजानमाँ की गोद में निश्चिंत ! कुछ ख़ुशी कुछ ग़ममाँ के छलकते आँसू,फिर बोलीतू छोटी नन्ही सी मेरी जानरखती हूँ जन्नत तेरा नाम पाँवों की आहटदरवाज़े पर दस्तकतेरे बाबा हैं शायद* पर तेरे बाबाक्या कहेंक्या करेंपता नहीं

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वीर बाला – एक शहीद की याद

पूजा चौहान द्वारा लिखी एक कविता स्त्री हर युग में शक्ति पुंज थी। जब मातृभूमि की रक्षा करते हुए वो वीर सैनिक अपना सर्वोच्च बलिदान देकर अमर हो जाता है उस समय भी ये शक्ति अपने आप को ज्योतिर्मय करके सम्पूर्ण जीवन उन सुंदर पलों के साथ व्यतीत कर देती है जो अब उसकी जमा पूँजी हैं और हर क्षण

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राब्दा

शैली कपिल कालरा द्वारा लिखी एक कविता दर बदर भटकते रहेमंज़िल लम्बी है अभीफ़िक्र थीडर भी था बहुत तलाश में किसी कीऔर ज़िक्र तेरा … हुआ राब्दामेरी रूह का तुझसेतो जाना मंज़िलदूर ही सहीपर सुकून हैतू साथ है।

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भारत की वीर गाथा

अनुजना शेट्टी द्वारा लिखी एक कविता जो कहलाती थी कभी सोने की चिड़ियां,बांधी गई थी जिसपे गुलामी की बेड़िया। जहां के वीर जवानों ने न्योछावर कर सब कुछ अपना,केसरी रंग से पूरा किया है स्वराज का सपना। जहां बिना किसी भेद-भाव सब आए एक साथ,शौर्य और पराक्रम से दी विदेशियों को मात। जिसपे हैं मुझे गर्व, हैं जिसके अस्तित्व से

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अलख

पूजा चौहान द्वारा लिखी एक कविता जीवन की रुनझुन आभा ने,स्वप्नों को बस छेड़ा है। आज मधुरमय जीवन ने,अंतर्मन को यूं छुआ है।अभिलाषा आकांक्षाओं ने,फिर से नाता जोड़ा है॥ जीवन रथ गतिमय रखने को,फिर साहस हमने पाया है।सतरंगी ऊर्जा प्रवाह ने,हृदय में अलख जगायी है॥ उम्र की यह दूजी पारी,अब फिर से यौवन लायी है।जीवन रश्मि का यह उपहार,अब नयी

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परिंदे कब पिंजरे में हैं रहते

शैली कपिल कालरा द्वारा लिखी कविता देखा है परिंदों कोपिंजरों में कैद होते हुएआसमान को देखतेऔर रुकसत होते हुए पिंजरे तो अक्सर हम हैं बनातेउम्मीद के पर भी ….हम हैं काटतेफिर दोष है कैसेसृष्टि का या क्रमों का परिंदे हैंउड़ान भरने के लिएना कल रुकेना रुकेंगे आज छूने आए आसमानछूकर ही जाएँगे परिंदे कब पिंजरे में हैं रहतेआज हैं अगरकल

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घरों में कमरे कमरों में घर

शैली कालरा की लिखित कविता वो जमाने थे जब घरों में कमरे सहूलियत के लिये बनते कभी हम खुद कभी चीज़ों को रख दिया करते कमरों में नहींघरों में थे हम रहते। हुआ करते थे घर कुछ ऐसेजहाँ खिड़कियाँ ज़्यादादरवाज़े कम हुआ करतेखिड़कियाँ खुलीदरवाज़े बंद रहते घर ऐसेजिनमे रौशनदान होतेथी रसोई ऐसीजहां नंगे पाँव जातेरोशन थे घर सबकेखिलखिलाती हँसीऔर मुस्कुराते चहरे घर !जहाँ छोटे

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कोमल नेहा

प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित। एक गायिका के लिए कवयित्री के भाव। कोमल की कोमल सी आवाज़ को सुन,ये दिल भी, मेरा ख़ुशी से झूम जाता है। उनका गायन, उनके दिल का स्वाभाविक रूप है।जिसे शब्दों में, बयान मुझसे किया नहीं जाता है। संगीत के प्रति, उनकी कोमल भावना,परिशुद्ध प्रेम सी प्रतीत होती है। हर गीत में उनके, शब्दों और

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