सुन लो मेरी बात

रुकी हूँ अगर आज
रुकूँगी नहीं कल
हारी हूँ अगर आज
हारूँगी नहीं कल
रुकी हूँ अगर आज
रुकूँगी नहीं कल
हारी हूँ अगर आज
हारूँगी नहीं कल
रंजू गुप्ता द्वारा लिखी कविता सेव वाटर ,सेव एनर्जीकब तक करते रहेंगे अपनी मनमर्ज़ीजल को वयर्थ न गँवायअब तो अपनी चेतना को चेताय पूर्वजों से मिला है जो खज़ानाक्यों इसको व्यर्थ में लुटानाजल नहीं है रिन्यूएबल रिसोर्सबेकार न करे एक भी ड्रॉपपानी नहीं बचाएगेंतो आने वाली पीढ़ी को क्या दे जाएगें प्रकृति का क़र्ज़ चुकाना हैअपने हिस्से का जल ही
Read moreशैली कपिल कालरा द्वारा लिखी एक कविता तेज बारिशचादर से ढक कर लायीमुझे है दाईमाँ के पास रखते हुए बोलीतूने लड़की है जनाईमैं निडरअनजानमाँ की गोद में निश्चिंत ! कुछ ख़ुशी कुछ ग़ममाँ के छलकते आँसू,फिर बोलीतू छोटी नन्ही सी मेरी जानरखती हूँ जन्नत तेरा नाम पाँवों की आहटदरवाज़े पर दस्तकतेरे बाबा हैं शायद* पर तेरे बाबाक्या कहेंक्या करेंपता नहीं
Read moreपूजा चौहान द्वारा लिखी एक कविता स्त्री हर युग में शक्ति पुंज थी। जब मातृभूमि की रक्षा करते हुए वो वीर सैनिक अपना सर्वोच्च बलिदान देकर अमर हो जाता है उस समय भी ये शक्ति अपने आप को ज्योतिर्मय करके सम्पूर्ण जीवन उन सुंदर पलों के साथ व्यतीत कर देती है जो अब उसकी जमा पूँजी हैं और हर क्षण
Read moreशैली कपिल कालरा द्वारा लिखी एक कविता दर बदर भटकते रहेमंज़िल लम्बी है अभीफ़िक्र थीडर भी था बहुत तलाश में किसी कीऔर ज़िक्र तेरा … हुआ राब्दामेरी रूह का तुझसेतो जाना मंज़िलदूर ही सहीपर सुकून हैतू साथ है।
Read moreअनुजना शेट्टी द्वारा लिखी एक कविता जो कहलाती थी कभी सोने की चिड़ियां,बांधी गई थी जिसपे गुलामी की बेड़िया। जहां के वीर जवानों ने न्योछावर कर सब कुछ अपना,केसरी रंग से पूरा किया है स्वराज का सपना। जहां बिना किसी भेद-भाव सब आए एक साथ,शौर्य और पराक्रम से दी विदेशियों को मात। जिसपे हैं मुझे गर्व, हैं जिसके अस्तित्व से
Read moreपूजा चौहान द्वारा लिखी एक कविता जीवन की रुनझुन आभा ने,स्वप्नों को बस छेड़ा है। आज मधुरमय जीवन ने,अंतर्मन को यूं छुआ है।अभिलाषा आकांक्षाओं ने,फिर से नाता जोड़ा है॥ जीवन रथ गतिमय रखने को,फिर साहस हमने पाया है।सतरंगी ऊर्जा प्रवाह ने,हृदय में अलख जगायी है॥ उम्र की यह दूजी पारी,अब फिर से यौवन लायी है।जीवन रश्मि का यह उपहार,अब नयी
Read moreशैली कपिल कालरा द्वारा लिखी कविता देखा है परिंदों कोपिंजरों में कैद होते हुएआसमान को देखतेऔर रुकसत होते हुए पिंजरे तो अक्सर हम हैं बनातेउम्मीद के पर भी ….हम हैं काटतेफिर दोष है कैसेसृष्टि का या क्रमों का परिंदे हैंउड़ान भरने के लिएना कल रुकेना रुकेंगे आज छूने आए आसमानछूकर ही जाएँगे परिंदे कब पिंजरे में हैं रहतेआज हैं अगरकल
Read moreशैली कालरा की लिखित कविता वो जमाने थे जब घरों में कमरे सहूलियत के लिये बनते कभी हम खुद कभी चीज़ों को रख दिया करते कमरों में नहींघरों में थे हम रहते। हुआ करते थे घर कुछ ऐसेजहाँ खिड़कियाँ ज़्यादादरवाज़े कम हुआ करतेखिड़कियाँ खुलीदरवाज़े बंद रहते घर ऐसेजिनमे रौशनदान होतेथी रसोई ऐसीजहां नंगे पाँव जातेरोशन थे घर सबकेखिलखिलाती हँसीऔर मुस्कुराते चहरे घर !जहाँ छोटे
Read moreप्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित। एक गायिका के लिए कवयित्री के भाव। कोमल की कोमल सी आवाज़ को सुन,ये दिल भी, मेरा ख़ुशी से झूम जाता है। उनका गायन, उनके दिल का स्वाभाविक रूप है।जिसे शब्दों में, बयान मुझसे किया नहीं जाता है। संगीत के प्रति, उनकी कोमल भावना,परिशुद्ध प्रेम सी प्रतीत होती है। हर गीत में उनके, शब्दों और
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