सुन लो मेरी बात

शैली कपिल कालरा द्वारा लिखी एक कविता
रुकी हूँ अगर आज
रुकूँगी नहीं कल
हारी हूँ अगर आज
हारूँगी नहीं कल
ज़िंदगी है
पल- पल नया सिखाती है
हताश, निराश, परेशान
न होना कभी
ज़िंदगी है…
जीना सीखा ही देती है
ज़िंदगी नदी सी
कभी रुक के , कभी झुक के, कभी मुड़ के
रास्ता नया बनाती है
ज़िंदगी है…
ज़िंदगी भी नदी सी
बहती ही रहती है /