मुझे जीने दो …

शैली कपिल कालरा द्वारा लिखी एक कविता तेज बारिशचादर से ढक कर लायीमुझे है दाईमाँ के पास रखते हुए बोलीतूने लड़की है जनाईमैं निडरअनजानमाँ की गोद में निश्चिंत ! कुछ ख़ुशी कुछ ग़ममाँ के छलकते आँसू,फिर बोलीतू छोटी नन्ही सी मेरी जानरखती हूँ जन्नत तेरा नाम पाँवों की आहटदरवाज़े पर दस्तकतेरे बाबा हैं शायद* पर तेरे बाबाक्या कहेंक्या करेंपता नहीं
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