वीर बाला – एक शहीद की याद

पूजा चौहान द्वारा लिखी एक कविता

स्त्री हर युग में शक्ति पुंज थी। जब मातृभूमि की रक्षा करते हुए वो वीर सैनिक अपना सर्वोच्च बलिदान देकर अमर हो जाता है उस समय भी ये शक्ति अपने आप को ज्योतिर्मय करके सम्पूर्ण जीवन उन सुंदर पलों के साथ व्यतीत कर देती है जो अब उसकी जमा पूँजी हैं और हर क्षण उन्ही पलों को याद करते हुए वो अपनी सहेली – अपनी सखी के साथ कुछ लम्हे बांटती है। आज उन्ही लम्हों को उसकी सखी आप सब के साथ जीवांत करने का एक प्रयास कर रही है।

जिक्र करती है जब उनका
सखी जो हैं पिया तेरे
दमकता रूप तब तेरा
चमकता ओज ये तेरा
शब्द होते नहीं हैं पास
तब तेरे लिए मेरे

तेरी मुस्कान में वो है
सखी जो हैं पिया तेरे
तेरे अभिमान में वो हैं
सखी जो हैं पिया तेरे
तेरे सम्मान में हर दम
सखी जो साथ रहते हैं
महकती तू उन्हीं से ही
इत्र हैं जो पिया तेरे

तेरी चादर की सलवट में
तेरे अधरों की हरकत में
तेरी साँसों की हर धुन में
बसे हैं वो पिया तेरे

ना होते हैं वो तेरे सामने
पर साथ रहते हैं
कभी जो छूट ना पाए
वो हर क्षण याद रहते हैं
तेरे ऐसे पिया का जिक्र
क्यूँ दिन रात फिर ना हो
तेरी खुशियों का वो अर्जुन
चाँद है वो सितारों में ……… ||||

सभी वीर बालाओं को समर्पित |

पूजारवि

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