रोशन की रौशनी…..

प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित।
गुडगाँव-शिक्षा हर एक व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आती है लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जो इसे प्राप्त नहीं कर पाते हैं। हम बात कर रहे है उन तमाम दिहाड़ी मजदूरों के बच्चो की जिनके सपने भी आम बच्चों की भाति ही होते है लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति उन्हें उनके सपनो को पूरा करने से रोकती है।
ऐसे वक़्त में जब पूरी दुनिया ही कोविद-19 की महामारी से लड़ रही है और दिहाड़ी मज़दूर रोजगार न मिलने के कारण अपने गांव वापिस जाने का सोच रहे है। ऐसी परिस्थिति में फ्री पाठशाला के अध्यक्ष श्री रोशन रावत ने निडर होकर 188 निर्माण श्रमिकों के बच्चों का हाथ थामा और अपनी छोटीसी संस्था फ्री पाठशाला के माध्यम से उन तमाम बच्चों की पढ़ाई, वाट्स अप वीडियो कॉल के ज़रिये जारी रखी।
एक झलक उन पढ़ते हुए बच्चों की।
श्री रोशन रावत ने पॉजिटिव न्यूज़ कार्नर को बताया कि”हमने एक टीम के रूप में अपना फ्री पाठशाला शुरू करने की पहल की, जहां हम जरूरतमंद लोगों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। हमारा उद्देश्य ऐसे हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाना है, जो सीखने की इच्छा रखता है, लेकिन अपने स्वयं के वित्तीय स्थिति से बाहर कुछ हासिल करने के लिए उनके पास संसाधनों की कमी है।
उन्होंने कहा कि गुड़गांव में हर जगह ज़्यादा तर निर्माण के कार्य होते रहते है, हालांकि, निर्माण श्रमिकों को एक स्थायी नौकरी नहीं मिलती है और वे अपना स्थान बदलते रहते हैं जो उन्हें किसी भी स्कूल में अपने बच्चों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं देता है। हम ऐसे बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं और उनके परिवार के सदस्यों को प्रशिक्षित करना चाहते हैं ताकि वे भी रेंट पर घर ले सकें, और अपने बच्चों को सही शिक्षा प्रदान करके उनका भविष्य उज्ज्वल कर सके।
एक झलक उन परिवारों की।
यह बात दुनिया से छुपी नहीं है कि इस महामारी में सबसे ज़्यादा नुकसान दिहाड़ी मज़दूरों का हुआ है उनके हर दर्द को समझते हुये श्री रोशन रावत जी ने ऐसे 188 परिवारों को अपनी संस्था फ्री पाठशाला की मदद से न केवल ऐसे परिवारों के बच्चों को पढ़ाने का बेड़ा उठाया बल्कि तालाबंदी के दरमियाँ इन सभी परिवारों को मुफ्त में राशन भी प्रदान करवाया।
उन्होंने पॉजिटिव न्यूज़ कार्नर को बताया कि सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुये उन्होंने राशन गुडगाँव के पार्क जहाँ वह उन मजदूरों के बच्चों को तालाबंदी से पहले मुफ्त शिक्षा दिया करते थे, के पास कुछ दुकानों में रखवाया और हर परिवार को एक कोड दिया जिसे बताकर ही वह अपना राशन दुकान से उठा सकते थे या फिर अपने बच्चे का नाम बताकर जो फ्री पाठशाला में पढ़ाई करता है। उन्होंने बताया की तालाबंदी की घोषणा के तुरंत बात से ही उन्होंने ज़रूरतमंदो को भोजन वितरित करना शुरू कर दिया था, उस वक़्त कुल 188 परिवार थे और आज भी उनमे से 169 परिवार वहीं रह रहे है जो अपने गांव वापिस नहीं गये.

हमे यह बताते हुये बेहद ख़ुशी हो रही है कि आज भी यह संस्था फ्री पाठशाला उन बचे हुए 169 परिवारों को राशन दे रही है। अंत में हम बस यही कहना चाहेंगे कि ऐसे वक़्त में आगे आकर रोशन जी ने बहुतों का जीवन अपनी निस्वार्थ सेवा से रोशन किया है और हमे उनपर गर्व है।
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