तालाबंदी-एक सकारात्मक पहलू यह भी.

प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित।  

24 मार्च 2020 को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 21 दिनों के लिए देशव्यापी तालाबंदी का आदेश दिया।ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारत में कोविद -19 महामारी के खिलाफ एक निवारक उपाय के रूप में भारत की संपूर्ण 1.3 बिलियन आबादी के आवाजाही को सीमित करना था ताकि हम सब एक होकर इस महामारी के खिलाफ लड़ सके। शुरू में थोड़ा मुश्किल था क्योंकि किसी को भी ऐसे जीने की आदत नहीं थी लेकिन अब क्योंकि काफी दिन ऐसे ही माहौल के साथ बीत चुके है।  तो आइये आज इस लेख के ज़रिये हम जाने कि इस देशव्यापी तालाबंदी के कारण क्या क्या अच्छा हुआ। दोस्तों ये हम सब के लिए ही एक बहुत मुश्किल की घड़ी है लेकिन अगर इस वक़्त की गंभीरता को हम अपने सकारात्मक दृष्टिकोण से देखे तो हमे समझ आएगा कि जो भी हुआ है शायद इसके पीछे भी कुछ अच्छा ही छुपा है तो आइये एक नज़र उस अच्छाई पर भी डाले। 

1.प्रकृति को इंसाफ मिला-लॉक डाउन की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर उत्तर भारत में “20-वर्षो में अब जाकर सबसे कम”है और दशकों में पहली बार, आज लॉक डाउन की वजह से हरिद्वार में गंगा का पानी पीने के लिए उपयुक्त है.प्रकृति के साथ मानव ने बहुत छेड़ खानी की है। जबकि हम में से बहुत से लोग प्रकृति के बचाव के लिए काफी प्रयास कर रहे थे, लेकिन शायद वह पर्याप्त नहीं थे। आज देशव्यापी तालाबंदी की वजह से हमारी भूमि माँ की पीड़ा थोड़ी कम हो पाई। हम आशा करते है कि इस वक़्त से सबक लेकर लोग  प्रकृति के साथ छेड़ खानी थोड़ी कम करेंगे। तालाबंदी की वजह से हमने जाना कि प्रकृति प्राकृतिक तरीके से ही ठीक रहती है। अब आसमान में चिड़िया बेख़ौफ़ उड़ती है, नदी में मछलियां खुल कर सांस लेती है और प्रकृति अपने पहाड़ो की झलक अब कई उन शहरों से भी दिखलाती है जहाँ से ये पहले प्रदूषण की वजह से नहीं दिखाई देते थे और ये पवन भी हमारी अब खुल कर मुस्कुराती है। 

2.बीते कल के टी.वी. धारावाहिक की झलकियां-जैसे जैसे समय बीतता जाता है हमे लगता है जैसे अब ये पल शायद फिर से हम जी नहीं पायेंगे, लेकिन तालाबंदी की वजह से बीते कल के टी.वी. धारावाहिक जैसे रामायण, महाभारत, महादेव, शक्ति मान आदि जैसे धारावाहिक को देख कर मानो ऐसा लगा कि बीता कल हमने फिर खुल के जी लिया। बचपन की वो सुनहरी यादें जैसे आज फिर से आँखों के सामने आ गई हो। 

3.सफाई कर्मचारियों की अहमियत समझ आई-इसमें कोई दो राय नहीं कि हम सब अपना अपना काम खुदके दम पर कर सकते है, क्योंकि पहले ज़माने में मदद के लिए हाथ बटांने के लिए केवल घर के ही सदस्य होते थे। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया,सफाई कर्मचारियों(maid) की आवशयकता बढ़ती गई और लोग कहीं न कहीं उनपर निर्भर भी रहने लगे, आज तालाबंदी की वजह से हमे उन सभी की अहमियत का एहसास हुआ. उनके प्रति हमारे भाव शुद्ध हुये और इसके साथ साथ हम आत्म निर्भर भी हुये। 

4.पुराने खेल अपनों के साथ खेलने लगे -पुराने ज़माने में मोबाइल और टीवी का इतना चलन नहीं था। तो बच्चे घर में ही अपनों के साथ खेलते थे जिससे कारण माता पिता और उनके बच्चो में अच्छा ताल मेल बनता था। आज वही समय जैसे दुबारा आगया बच्चे अपने माता पिता के साथ घर में ही कभी लूडो, कैरम तो कभी ताश के पत्तो के साथ अपना मनोरंजन कर रहे है। ऐसे में यूँ एक साथ खेल कर घर के सदस्यों में आपस में मेल बड़ा। अब तालाबंदी की वजह से दोस्तों के यहाँ जाना और बाहर से खाना आना बंद हुआ उसकी वजह से बच्चो का ताल मेल अपने घर वालो से बड़ा और अब शायद एक दूसरे के लिए कुछ अच्छा वक़्त भी मिला जो पहले मिलता तो था लेकिन वो वक़्त बच्चे अपने घर पर ना रहकर कही बाहर जाकर अपने दोस्तों के साथ बिताना चाहते थे। 

5.जीवन की गहराई का सत्य समझमे आया -हम सभी को पता है एक न एक  दिन हम सभी को ही इस दुनिया से जाना है। कोरोना वायरस ने हमे ये सिखाया कि वक़्त कभी किसी को वक़्त नहीं देता इसलिए इसका दुरुपयोग मत करो।  जितना भी वक़्त हमारे पास है बस मिल कर प्रेम से अपनों के साथ जियो क्योंकि आज तुम्हे जिसकी आदत है वो शख्स शायद कल हो न हो। 

इस वक़्त की गंभीरता को सब ने ही अपने अपने हिसाब से समझा है, हमारी आप सभी से ये प्राथना है कि आप सभी अपने घर पर रहिये और आपके स्वास्थ को ठीक रखने वाले भोजन का ही सेवन कीजिये।करोना की दवाई अभी भी बननी बाकि है लेकिन तब तक हम अच्छा खाकर अपने को अंदर से तो मज़बूत कर सकते है। वो सारे कार्य कीजिये जो आपको और आपके अपनों को ख़ुशी दे।और बिना किसी तनाव के साथ इस समय को ख़ुशी ख़ुशी अपनों के संग गुज़ारे।

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