दोपहिया वाहन को एम्बुलेंस बनाकर, ऐसे समय में भी बैंगलुरु के डॉक्टर ने लोगो की मदद की।

प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित, शाहिद की जानकारी पर आधारित।
बेंगालुरू: ओपीडी के साथ अधिकांश अस्पताल और आस पास के क्लिनिक तालाबंदी के कारण बंद हो गये है। इस वक़्त की गंभीरता को समझते हुये बेंगलुरु के 46 वर्षीय डॉक्टर ने शिवाजीनगर, पुलिकेशिनगर और भारतनगर में हजारों लोगों के लिए रोजी-रोटी का इंतजाम किया। मोबाइल एम्बुलेंस में तब्दील एक दोपहिया वाहन (स्कूटर )पर, डॉ सैयद मोइनुद्दीन शब्बीर जो संतोष ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के एक पैरामेडिक कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल भी हैं, छोटी-मोटी बीमारियों की चपेट में आने वाले मरीजों की मदद कर रहे है और आस पास के निवासियों को किराने का सामान और दवाइयाँ उपलब्ध भी करवाते हैं।
यह महान चिकित्सक हर दिन 20 से 25 गलियों में जाते हैं जहाँ गैंग्रीन वाले मधुमेह रोगी को जिन्हें नियमित रूप से एंटीबायोटिक दवाओं की एक मजबूत खुराक की आवश्यकता होती है और ड्रेसिंग भी होनी होती है, ऐसे निवासियों की जांच करते हैं। वह मधुमेह रोगियों के लिए इंसुलिन का भी प्रबंध करके देते है।
सिविक लीडर के रूप में B.Pac द्वारा प्रशिक्षित, शब्बीर कहते हैं कि वह 25 मार्च से अपना काम कर रहे हैं। वह शुरुआत में शिवाजीनगर में लोगों के पास पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह शिवाजीनगर में ही पले बड़े है, इसलिए इस अच्छे काम की शुरुवात उन्होंने वहां से की।
डॉक्टर, संतोष समूह से स्कूटर-एम्बुलेंस उधार लेते है, हर दिन कम से कम 125 किमी कवर करते है। किराने का सामान पहुंचाने के लिए उनके पास एक और दोपहिया वाहन है। वह अपनी जेब से ईंधन और दवाओं के लिए भुगतान करते है। किराने का सामान, रोटरी बैंगलोर छावनी और जैन यूथ ट्रस्ट जैसे संगठनों द्वारा प्रायोजित किया जाता है।
जब वह लोगो से मिलते है,तो वह COVID-19 के लक्षणों और स्वच्छता बनाए रखने और घर के अंदर रहने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाते है। डॉक्टर ने अपने प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए पुलिकेशिनगर और भारतीनगर पुलिस थानों से भी मदद ली। मदद या किराना / दवाओं की आवश्यकता वाले मरीजों को दो स्टेशनों में से एक से संपर्क करना पड़ता है, जो डॉक्टर शब्बीर को सूचित करते है।
अब तक, डॉक्टर ने किराने का सामान देने में मदद की है जो एक महीने तक 10,000 परिवारोंकी की मदद कर सकता है, जिसमें प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं। डॉक्टर शब्बीर खुद को बचाने के लिए भी मास्क पहनते है।उन्होंने बताया कि “शुरू में, मेरा परिवार बहुत झिझक रहा था, लेकिन आखिरकार वे इस कार्य के पीछे छुपी मेरी भावना को समझ गए।
इस महामारी के वक़्त में लड़ने वाले ऐसे महानायक को हम शत शत नमन करते है और उम्मीद करते है ऐसे महानायक इस वक़्त में बहुत लोगो की प्रेरणा बन जाये और लोग एक दूसरे की मदद के लिए इसी तरह आगे आये और अपने देश को मिलकर इस महामारी कोविद-19 से बचाये।