अंतर-जातीय, अंतर-विश्वास वाले जोड़ों के लिए ‘सुरक्षित घर’ खोलने के लिए तैयार है केरल।

प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित, शाहिद की जानकारी पर आधारित
जाति और धर्म के बाहर शादी करने की वजह से, देश के कई हिस्सों में अशांति और खतरों का सामना कर रहे हैं, ऐसी कठिन परिस्थिति में केरल सरकार उन्हें एक सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने के लिए ‘सुरक्षित घरों’ को खोलने के लिए अपना कदम उनकी शांति बनाये रखने के लिए उठा रही है।
सामाजिक न्याय विभाग ने सभी जिलों में ऐसी सुरक्षित सुविधाएं खोलने की अनूठी पहल का खुलासा किया है।
सामाजिक न्याय मंत्री के. के शैलजा ने कहा कि ‘सुरक्षित घरों’ की स्थापना के लिए प्रारंभिक कदम शुरू हो गए हैं, जहाँ ऐसे जोड़े शादी के एक साल बाद तक रह सकते हैं।
सरकार के इस कदम का उद्देश्य उनके लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है, मंत्री ने राज्य विधानसभा को बताया, यह पहल स्वैच्छिक संगठनों के समर्थन से कार्यान्वित की जा रही है।
उन्होंने कहा कि विभाग पहले से ही ऐसे जोड़ों को स्वरोजगार के लिए 30,000 रुपये की वित्तीय सहायता दे रहा है यदि वे सामान्य श्रेणी में हैं और उनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है। जबकि दूसरी तरफ यदि उनमें से एक अनुसूचित जाति समुदाय का है, तो उन्हें 75,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
मंत्री ने कहा कि सरकारी विभागों में स्थानांतरण के समय अंतर-धार्मिक जोड़ों को विशेष विचार के योग्य श्रेणी में शामिल किया गया था, मंत्री ने कहा कि वर्तमान में उन्हें आरक्षण देने के लिए कोई कानून नहीं है।
हाल के दिनों में देश के कई हिस्सों में अंतरजातीय और अंतर-धार्मिक वैवाहिक जोड़ों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार और हमलों की घटनाएं सामने आई हैं।
एक चौंकाने वाली घटना में, वर्ष 2018 में केरल के कोट्टायम जिले में एक 23 वर्षीय दलित ईसाई व्यक्ति का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया और उसकी उच्च जाति की पत्नी के रिश्तेदारों ने उसे मार डाला।
वर्तमान में भारत में अंतर्जातीय विवाह पर प्रवचन में विरोध और स्वीकृति से लेकर प्रतिरोध तक के विविध आख्यान शामिल हैं।अब ज़रूरत है बदलाव की. आइये मिलकर इस मुद्दे पर कदम उठाये जिससे बहुतो के जीवन में सुख और शांति आये और लोग मन से इसे स्वीकृति दे। केरल सरकार द्वारा उठाये इस कदम का अनुसरण, केंद्र सरकार द्वारा भी लागू करने की ज़रूरत है।
धर्म के बाहर विवाह करना,कोई गुनाह नहीं,
इस बात पर सज़ा, तू किसी निर्दोष को सुना नहीं।
ये तो दो दिलो का है मेल,
क्यों समझता है समाज ऐसे विवाह को एक खेल?
आशीर्वाद देकर इन्हे प्रेम से स्वीकारो,
सच्चे प्रेमी है इस जग में हज़ारो।
यूँ लड़ झगड़ कर क्यों अशांति फैलाते हो?
इस मुद्दे को क्यों प्यार से गले नहीं लगाते हो।
जो प्यार से इस मुद्दे की गहराई को समझ पाओगे?
अपनों के दिल में तुम अपनी, एक अनोखी जगह बनाओगे।