सकारात्मक सोच सफलता का मूल मत्र है।

प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित
नकारात्मक स्थितियों से सफलता के साथ निपटना इतना आसान नहीं। दुर्भाग्य से, समस्याएं आपके काम और व्यक्तिगत जीवन दोनों में आती हैं। हालांकि, सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करना, मुश्किल लग सकता है और ऐसा वक़्त रहते नकारात्मकता को आपका मनोबल तोड़ने मत दो यह सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। एक बार जब आप एक सकारात्मक मानसिकता में पहुँच जाते हैं, तो आप एक समाधान खोजने की दिशा में काम कर सकते हैं। नकारात्मकता को दूर किया जा सकता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप आत्म – संयम का अभ्यास करने के लिए कदम उठाएं ताकि नकारात्मक माहौल में भी खुदको सकारात्मक रख सके।
कोरोना के कारण विश्व भर में नकारात्मकता फैली हुई है।हमे नहीं पता माहौल कब तक पूरी तरह से शांत होगा।लेकिन हमे यकीन है कि मानव का संकल्प और सबके निर्धारित प्रयासों से एक दिन सब ठीक हो जायेगा।
जब भारत अंग्रेजो की कैद में था और अपनी स्वतंत्रता की उम्मीद खो चूका था। तब भारत के कई नायक जिसमे शामिल थे रानी लक्ष्मी बाई ,मंगल पांडे,भगत सिंह, महात्मा गांधी,पंडित जवाहरलाल नेहरू, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस,बाल गंगाधर तिलक आदि ने अपने आत्मा विश्वास और अपने देश प्रेम के बल पर भारत को आज़ादी दिलाई और एक अनोखा इतिहास रच कर अनंत काल तक के लिए अमर हो गये। जब-जब दुखो के काले बादल छाये यहां अनेक संत और महात्मन हमे बचाने आये उदाहरण के तौर पर राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, आदि महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं, और इनके मार्ग दर्शन से भारत हर बड़ी से बड़ी मुसीबत से लड़ पाया।
आइये इतिहास के पन्नो में झाँके और देखे कैसे महान व्यक्तियों ने असंभव कार्यो को नकारात्मक स्थितियों के रहते संभव करके दिखाया, उनकी इस सफलता के पीछे उनकी क्या सोच थी।

1.महात्मा गाँधी-(गंभीर परिस्थितियों के रहते, भारत को आज़ादी दिलाई )
- स्थायी रूप से शांति कभी भी असत्य और हिंसा के मार्ग पर चलकर नहीं मिल सकती।
- पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
- जब भी कोई आपका विरोध करे, तो आप उसे प्यार से जीतें।
- आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक महासागर की तरह है; अगर सागर की कुछ बूंदें गंदी हैं, तो सागर गंदा नहीं हो जाता।

2.अरुणिमा सिन्हा-(अपंग होने के बावजूद, माउंट एवेरेस्ट फ़तेह किया )
- विफलता तब नहीं है जब हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल हो जाते हैं। यह तब है जब हमारे पास पर्याप्त लक्ष्य ही नहीं हैं.
- दूसरों की मदद करके, आप खुदकी मदद भी करते हो।

3.मुनिबा मजारी-(जिन्होंने अपनी पहली पेंटिंग अपने डेथ बेड पर बनाई, और मौत को भी पछाड़ कर एक प्रेरक वक्ता और आयरन लेडी ऑफ़ पाकिस्तान बनी. )
- “कभी-कभी किसी की अनुपस्थिति आपको एक बेहतर व्यक्ति बनाती है, क्योंकि तभी आप खुदके पैरो पर खड़ा होना सीखते हो।
- आप चाहे जैसे भी हो लेकिन जब आप खुद को स्वीकार करते हैं, तब ही यह दुनिया भी आपको पहचानती है.
- “आप ही अपनी खुद की जीवन कहानी के नायक हैं और नायक कभी हार नहीं मानते।
- आपके पास जो भी है, बस उसके लिए आभारी रहे और जो खोया या जो ना मिल सका उसके बारे में ज़्यादा सोचे नहीं।

4.डॉ दाईसाकू इकेदा-जापान के लेखक डॉ इकेदा को उनकी किशोर अवस्था में कुछ गंभीर बीमारियों ने घेर लिया था जिसके कारण डॉक्टरों ने उन्हें जवाब दे दिया था कि वह 30 वर्ष की आयू से ज़्यादा जी नहीं सकते जबकि इस साल उनकी 92 वी वर्षगांठ मनाई गई और दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध संगठन(SGI) की स्थापना की ।
- जब हमारा वातावरण बहुत आरामदायक हो जाता है तो हम बहुत आगे नहीं बढ़ सकते क्योंकि कष्ट और कठिनाई के बीच ही किसी के अद्भुत चरित्र का निर्माण होता है।
- हम विपरीत परिस्थितियों से नहीं बल्कि प्रयास करने की इच्छाशक्ति की कमी से हारते हैं। चाहे आप तबाह ही क्यों ना हो जाये, जब तक आप में लड़ने की इच्छाशक्ति है, आप निश्चित रूप से जीत सकते हैं।
- हर चुनौतियों को ख़ुशी से स्वीकारे ,जो भी आपका जीवन आपको प्रस्तुत करता है। आप प्रतिकूलता और संघर्ष को दरकिनार करके वास्तविक चरित्र और क्षमता विकसित नहीं कर सकते।
महान व्यक्तियों के जीवन को पढ़ कर हमने पाया की मुसीबतों ने तो उन्हें भी हर तरफ से घेरा था लेकिन, अहिंसा, आत्मबल, इच्छा शक्ति, द्रणनिश्चय के मार्ग पर चलकर इन सब ने सफलता पाई।
Very nice didi
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