श्री गुरु नानक देव जी का दिव्य ज्ञान.

प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित.
गुरु नानक, जिन्हें बाबा नानक (‘पिता नानक’) के रूप में भी जाना जाता है, सिख धर्म के संस्थापक और दस सिख गुरुओं में से पहले थे।नानक ने बहुत दूर दूर यात्रा कर, लोगों को एक ही ईश्वर है का संदेश दिया, जो हर एक जीव में बसता है और शाश्वत सत्य का गठन करता है। उन्होंने समानता, भ्रातृ प्रेम, अच्छाई और सद्गुण पर आधारित एक अद्वितीय आध्यात्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मंच स्थापित किया।नानक के शब्द सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब में 974 काव्यात्मक भजनों के रूप में पंजीकृत हैं .सिख परंपराओं के अनुसार, नानक के जन्म और जन्म के शुरुआती वर्षों की कई घटनाओं को दिव्य अनुग्रह के रूप में चिह्नित किया गया था.सिख धर्म की बुनियादी मान्यताओं को पवित्र धर्मग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में व्यक्त किया गया है। जिसमें अपने ईश्वर(निर्माता ) के नाम पर विश्वास, आस्था,सभी मानव जाति की एकता,निस्वार्थ सेवा, ध्यान, सभी के लाभ और समृद्धि के लिए सामाजिक न्याय के लिए प्रयास करना,और एक गृहस्थ जीवन जीते हुए ईमानदार आचरण करना शामिल है।
जीवन को सकारात्मक की ओर ले जाता है गुरु नानक का दिव्य ज्ञान आइये उनके दिए हुये दिव्य ज्ञान से कुछ सीखे।
एक ही शाश्वत ईश्वर है-सारे मनुष्य केवल एक ही ईश्वर की संतान है, इसलिए सभी मनुष्यों के साथ प्रेम और सम्मान के साथ पेश आना चाहिए।सबसे अमीर और सबसे गरीब का भी वो ही एक ईश्वर है, इसलिए किसी को कम या किसीको ज़्यादा नहीं समझना चाहिये। गुरु नानक देव ने इक ओंकार का नारा दिया यानी ईश्वर एक है। वह सभी जगह मौजूद है। हम सबका “पिता” वही है इसलिए सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
सभी लोगों में समानता– जाति पंथ और धन की लालसा से मुक्त होकर हर व्यक्ति को एक साथ भोजन करना चाहिए।लंगर दिल को साफ करने में मदद करता है। लोगों को भोजन देने से एक व्यक्ति को अपने पापों को साफ करने में मदद मिलती है, और अहंकार को कम करता है।इंसानों के बीच प्यार होना चाहिये और व्यक्ति को अपना समय और मन दूसरों की मदद के लिए लगाना चाहिए।हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई बनने से पहले एक अच्छे इंसान बनो.
गुरु नानक देव जी ने हमें सिख धर्म के तीन स्तंभ भी दिए
कीरत करो(सच्ची कमाई)-जीविका अर्जित करना बिना किसी धोखाधड़ी, शोषण, या गलत व्यवहार के।
नाम जपो (वाहेगुरू के नाम को याद करें), जिसने पूरी दुनिया को बनाया है, और खुद को दुनिया की माया से मुक्त करो।
वंद छको(दूसरों की मदद करो)-धन, भोजन, पानी, कपड़े और अन्य माया को दूसरों के साथ साझा करो।