देवी दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन।

प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित.

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जो देवी सब प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।

हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की नौ अभिव्यक्तियां है जिन्हे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है, विशेष रूप से नवरात्रि के त्योहार के दौरान इनकी पूजा की जाती है. देवी दुर्गा के नौ रूप (गौरी या पार्वती)- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कालरात्रि, कात्यायनी, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं।

माँ वैष्णों देवी भी नवदुर्गा का ही स्वरुप है आइये विस्तार में अब माता के उन नौ रूपों का वर्णन करते है जो नवरात्रि के प्रत्येक दिन पूजी जाती हैं।

1.शैलपुत्री‍-माँ दुर्गाअपने पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं.पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। सती, पार्वती, वृषारूढ़ा, हेमवती और भवानी भी इसी देवी के अन्य नाम हैं।नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और इनके लिए उपवास रखा जाता है।
अपने पूर्व जन्म में ये ही माँ सती थी। एक बार जब सती के पिता प्रजापति दक्ष ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया, पर भगवान शंकर को नहीं।
दक्ष ने भी भगवन शंकर के प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे माँ सती को बहुत दुख पहुंचा। वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपनेआप को जलाकर भस्म कर लिया।इस दारुण दुख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने तांडव करते हुये उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री का विवाह भी, फिर से भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिव की अर्द्धांगिनी बनीं।

2.ब्रह्मचारिणी-दुर्गा पूजा के दूसरे दिन देवी के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है।ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए ब्रह्मचारिणी ने घोर तपस्या की थी। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं।कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एक दम कमज़ोर पड़ गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या की सराहना की और कहा “हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे।इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।

3.चंद्रघंटा-नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है।इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। इस देवी के दस हाथ हैं।इनके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस काँपते रहते हैं।यह वह देवी है जो एक व्यक्ति में साहस को प्रेरित करती है और राक्षसों के खिलाफ युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहती है। जब इन्हे उकसाया जाता है, तो वह उन लोगों के प्रति उदासीन हो सकती है जो उनके क्रोध को आमंत्रित करते हैं, लेकिन वह अपने अनुयायियों के लिए शांति का अवतार ही बनी रहती है।

4.कूष्माण्डा-नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है।जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्‌(थोड़ी) हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही तेज है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज वास करता है।इनकी पूजा से भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है।

5.स्कंदमाता-नवरात्रि में पाँचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से भी पहचाना गया है।मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है। यानी चेतना का निर्माण करने वालीं। कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं।यह कमल के फूल पर बैठती है और उसी के कारण, इस देवी को पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है।

6.कात्यायनी-नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है.इनकी आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी।

7.कालरात्रि-दुर्गापूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है.कहा जाता है कि कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं।अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।

8.महागौरी-नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है।पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी कारण से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए यह महागौरी कहलाईं।इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।कहते है जो स्त्री मां की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वंय करती हैं।

9.सिद्धिदात्री-माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।नवरात्र के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।माना जाता है कि इनकी पूजा करने से बाकी देवीयों की उपासना भी स्वंय हो जाती है।यह देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से संभव हो जाते हैं। कहते हैं भगवान शिव ने भी इस देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस देवी की कृपा से ही शिव जी का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण से शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए।विधि-विधान से नौंवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

2 comments

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s