ब्रह्म कुमारी शिवानी वर्मा जी का प्रेरणादायक जीवन बदल देने वाला ज्ञान।
प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित.
शिवानी वर्मा, जिन्हे ब्रह्म कुमारी शिवानी या सिस्टर शिवानी या बीके शिवानी के रूप में भी जाना जाता है. ब्रह्मा कुमारिस विश्व आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में एक शिक्षक हैं.वह सार्वजनिक सेमिनार और टेलीविजन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रेरक पाठ्यक्रम संचालित करती है.

शिवानी वर्मा के माता-पिता ने ब्रह्मा कुमारी का पालन उस समय से करना शुरू किया जब वह एक बच्ची थी। हालाँकि उन्हें शुरू में इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा, “दो साल तक, मैंने मेरे माता पिता के ऊपर इसका केवल प्रभाव देखा। उन्होंने मुझे उनके साथ आने के लिए कहा, लेकिन मैंने हमेशा मना किया। जितना वे मुझसे पूछते थे, मैं उतना ही इससे दूर भागती थी।फिर दो साल के बाद, वह 23 साल की उम्र में हर दो हफ्ते में कभी कभी उपस्थित होने लगी.
फिर 2007 में, अन्य शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण, उन्हें दर्शकों के प्रश्नों का उत्तर देना शुरू करने के लिए कहा गया। उन्होंने 2007 में ब्रह्म कुमारी के साथ जागरण नामक एक टेलीविजन कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें बीके शिवानी का साक्षात्कार सह-मेजबान कानू प्रिया द्वारा किया गया था।
सुरेश ओबेरॉय के साथ बातचीत की उनकी टीवी श्रृंखला को 2015 की किताब हैप्पीनेस अनलिमिटेड: जागृति विद ब्रह्म कुमारीस में रूपांतरित किया गया था और ऐसे इनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई.
आइये जानते है ब्रह्म कुमारी शिवानी वर्मा जी की वो 5 अनोखी सोच जो आपकी सोच को भी एक सकारात्मक दिशा दे सकती है और आपको अंदर से ख़ुशी प्रदान कर सकती है।
1.जो कार्य शुद्ध इरादे से किए जाते हैं, जिससे पहले स्वयं को लाभ पहुँचता हैं और दूसरे को भी लाभ होता है और फिर पूरी दुनिया को खुश कर, जो भगवान को प्रसन्न करता है वही निश्चित रूप से धर्मी है।यदि कोई व्यक्ति शरीर की चेतना (5 दोषों) के प्रभाव में है और वह खुद को या दूसरों को दुःख देता है, या यदि वह नकारात्मक विचारों के साथ वातावरण को प्रदूषित करता है, तो वह, वह कार्य कर रहा है जो आत्मा के स्वभाव के विपरीत है।कहने का मतलब यह है कि हमे किसी को केवल दिखाने के लिए अच्छा कार्य नहीं करना बल्कि निस्वार्थ अच्छे कर्म करने है जिससे हमारे साथ साथ सबका भला हो और जैसा कि हम में से कई लोग मानते हैं कि जीवन पूर्वनिर्धारित नहीं है, व्यक्ति अपने कर्मों (कर्म) द्वारा अपने भविष्य को आकार देता है।अगर आप किसी की मदद कर रहे हो और बदले में कुछ पाने की अपेक्षा रख रहे हो तो आप मदद नहीं कारोबार कर रहे हैं।
2.“स्थिति हमारे नियंत्रण में नहीं है। हमें बस लगता है कि आध्यात्मिकता और धर्म हमारी समस्याओं को बदल देंगे मगर वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि “जब बाधाएं और समस्याएं आएंगी, और जब हम अपने आध्यात्मिक मूल्यों पर वापस जायेंगे, तो यह हमे खुद को संभालने और किसी भी स्थिति का सामना करने की शक्ति देगा।”जीवन में सफल बनने के लिए उन समस्याओं को भूल जाओ जिनका सामना करना पड़ा,लेकिन उन समस्याओं से मिलने वाले सबक को कभी मत भूलना।

3.अपनी कई वार्ताओं में, श्रीमती शिवानी ने हमारे अच्छे गुणों के विचारों को बनाए रखने के मूल्य पर जोर दिया।उन्होंने बताया वास्तविक खुशी एक आंतरिक शक्ति है जो सही सोच के अभ्यास से उपजी है.“खुशी का मतलब पूरे दिन कूदना और नाचना नहीं है। जब हम गलत विचार पैदा करेंगे,तो हमे अंदर से बुरा महसूस होगा।”अगर हमारे विचार सही हैं, तो हम अंदर से स्थिर महसूस करेंगे। अगर हम स्थिर है, तो हम मजबूत है और हम किसी भी स्थिति का सामना कर सकते है।“सफलता प्रसन्नता की कुंजी नहीं है मगर खुशहाली सफलता की कुंजी है। यदि आप जो कर रहे हो आप उससे प्रेम करते हो तो आप सफल ज़रूर हो जाओगे।
4.“हमारे विचारों का बाहरी वातावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। जब हमारे दिमाग के अंदर की अशांति शांत हो जाती है और शांति बनी रहती है, तो वही हमारे बाहरी वातावरण में भी झलकती है।“इसलिए, यदि हम लगातार शांतिपूर्ण और सकारात्मक बने रहते हैं, तो हम एक बेहतर वातावरण बनाने में योगदान देते है। आप एक नकारात्मक मन के साथ एक सकारात्मक जीवन नहीं जी सकते।
5..दूसरों को देखने से पहले खुद के अंतर मन में झांक कर देखो क्योंकि जब हम दूसरो को नियंत्रित करने की कोशिश करते है, तब हम अपने आपकी शक्ति को खो देते है।
शिवानी सदैव श्रद्धा के पात्र रही हैं उनके बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए धन्यवाद
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