ये मन चाहे कितना भी मचले.

ये मन चाहे कितना भी मचले,
मगर खाना हमेशा हल्का ही खाना।
स्वाद से भरपूर है तला हुआ,
मगर छुपा है हलके खाने में ही,
तुम्हारे स्वास्थ का खज़ाना।
ये मन चाहे कितना भी मचले,
मगर वाहन का प्रयोग ज़्यादा करने से बचना।
इस शरीर को ज़्यादा चलाकर , रखकर इसे मज़बूत,
अपने जीवन काल में, तुम करना एक अनोखी रचना ।
ये मन चाहे कितना भी मचले,
मगर मनोरंजन के आगे, अपने लक्ष्य पर ध्यान ज़्यादा देना।
ये दुनिया तो तुम्हे बहकायेगी ही,
क्योंकि तुम्हारी सफलता से उन्हें क्या लेना??