अहमदाबाद: मज़दूर के बेटे ने पहले प्रयास में ही सीए फाइनल में प्रवेश किया।

प्रेरणा महरोत्रा गुप्ता द्वारा लिखित, शाहिद की जानकारी पर आधारित
अहमदबाद: गुजरात के पांच छात्रों ने शीर्ष 50 में रैंक हासिल की है जिसमे से एक है जयेश जिन्होंने बचपन से ही अपने पिता को कलूपुर इलाके के थोक अनाज बाजार में एक मजदूर के रूप में मेहनत करते देखा था। वास्तव में, यह उनके पिता जीवंत सभाग्नि की कड़ी मेहनत थी, जिसने 21 वर्षीय जयेश को अपनी पुस्तकों के साथ कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।
पिता और पुत्र दोनों की कठोर मेहनत गुरुवार को सफल हुई जब जयेश ने, 35 अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) के साथ पहले प्रयास में ही सीए की अंतिम परीक्षा सफलता पूर्वक पार की।
जयंत ने टीओआई से कहा, “मेरे पिता और माँ दोनों ने केवल कक्षा 8 तक ही पढ़ाई की है। हालांकि मेरे पिता ने कभी मुझसे कहा नहीं लेकिन फिर भी मुझे ऐसा लगता था जैसे वो मुझसे पढ़ाई में अच्छी तरह से अध्ययन करके हमारा जीवन बदलने को कह रहे हो। मेरे पिता मेरी इस सफलता से बहुत खुश है।
कोचिंग पर बड़ा खर्च नहीं किया।
जयेश ने कहा कि उनकी माँ वर्षा ,एक गृहिणी, उन्हें शिक्षा का उपयोग गरीबी को हराने और पूरे परिवार के लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए एक हथियार के रूप में करने के लिए लगातार प्रेरित करती थी। उन्होंने बताया उन्होंने अपने माता-पिता को जीवन भर संघर्ष करते देखा है। अब वे उन्हें आराम और खुशी से भरा जीवन देना चाहते है।
जयेश का कहना है कि उन्होंने निजी कोचिंग पर बड़ा पैसा खर्च नहीं किया और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा प्रदान की गई अध्ययन सामग्री का ही केवल विकल्प चुना।
जयेश कहते हैं, ” मैं रोजाना पांच से छह घंटे पढ़ाई करता हूं और यह सुनिश्चित करता हूं कि मैं रोजाना पढ़ाई से दूर न रहूं। अगर आप पढ़ाई का आनंद लेते हैं और अंकों की चिंता नहीं करते हैं, तो सीए परीक्षा सफलता के साथ पार करना वास्तव में कोई बड़ी बात नहीं है। जयेश ने स्वीकार किया कि उसने कभी भी दूसरे प्रयास में सीए की परीक्षा पार करने की योजना नहीं बनाई थी। जयेश कहते हैं, “अगर किसी का उद्देश्य स्पष्ट है और कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार है, तो असंभव कुछ भी नहीं है।”
मेहनत और लगन ही देती, सफलता के द्वार खोल,
दुनिया दारी की परेशानियों को रख परे,
तू केवल अपनी प्रिय पुस्तक से नाता जोड़।