ऐ बेखबर दुनियाँ – लेखिका प्रेरणा
प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता की कविता
ऐ बेखबर दुनियाँ, तू कहाँ बस, चली ही जा रही है ?
कुछ पल ठहर कर तो देख,तेरी ज़िन्दगी भी बस, यूही गुज़रती जा रही है।
माना तुझे तो आगे बढ़ते ही रहना है
मगर तेरे अपनों को भी तो, कुछ पल तेरे संग भी, सुकून से रहना है।
ऐ बेखबर नदियां तू क्यों बस बहती ही जा रही है?
क्यों अपने दर्दो का हाल, तू किसी को नहीं बता रही है?
माना तुझे तो ईश्वर ने बनाया ही ऐसा है.
मगर एक पल रूककर तो देख, तेरे ज़ख्मो का हाल कैसा है।
ऐ बेखबर पंछी तू कहाँ उड़ता जा रहा है?
क्यों बिन वजह अपने पंख फैला रहा है
माना तुझे तो बहुत से काम है,मगर तेरी मीठी बोली ही तो हमारा बाम है।
तुझे शांत बैठ, अपनों संग चहचहाने का भी तो काम है।
लेखिका
प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता
