मैं खुश हूँ — लेखिका प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता
प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता की कविता
मैं खुश हूँ क्योंकि,
आज का ये दिन तो मैं देख पाई।
सबको नहीं तो क्या, कुछ को तो खुश मैं रख पाई।
मैं खुश हूँ क्योंकि,
कल से कुछ ज़्यादा मैं आज सीखी।
बेबस होकर ,मैं आज खुदपर नहीं चीखी।
मैं खुश हूँ क्योंकि,
जीवन की ज़रूरतों की हर छोटी से छोटी सामग्री मेरे पास है।
मेरे अपने और कुछ अनमोल दोस्त ,जो मेरे बहुत ही ख़ास है।
मैं खुश हूँ क्योंकि,
मैंने तो कम से कम मेरे सपनो को देखा,
उसे सफल बनाने की बनाई, मेहनत कर अपने हाथो में रेखा।
मैं खुश हूँ क्योंकि,
ठोकरे खाकर भी मैंने कभी हार नहीं मानी।
बेशक सफलता के इंतज़ार में निकल रही है मेरी जवानी।
मैं खुश हूँ क्योंकि,
ये हवा, पानी, पेड़ पौधे इत्यादि मुझे निस्वार्थ प्रकृति से मिले।
इन्हे एक टक निहार ही तो, इस कवियत्री के मन में सुन्दर भावों के फूल खिले।
मैं खुश हूँ क्योंकि,
ईश्वर की बनाई इस दुनियां में, थोड़ी सी जगह मेरे हिस्से में भी आई।
सद्प्रयोग कर इस जगह का, मैं जग कल्याण के हित में सोच पाई।
मैं खुश हूँ
मैं बहुत खुश हूँ
लेखिका
प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता
