सपनों का भारत।

प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता की कविता
ख्वाहिश करती हूँ ऐसे भारत की…..
जिसमें हर जाति का मेल हो,
शांति पूर्वक, इस भूमि में,अब हर कोई खेल हो,
हर मानव ही यहाँ ,अपने सपने को, पूरा करने में लग जाये।
उस सपने की पूर्ति में, वो इतना थक जाये।
नकारात्मक सोच, उस तक पहुंचने से भी कतराये।
अपने-अपने जीवन का उद्देश्य,हर प्राणी ही यहाँ समझ जाये।
अपनी-अपनी क्षमताओं के ज़रिये,हर इंसान यहाँ, बस जग कल्याण के सपने सजाये।
हर परिवार ही यहाँ, अपनी बहू और बेटी का सम्मान करे।
रिश्तों के इन भेद-भाव से, लोगो की अब, रूह तक डरे।
इन भेद-भावों से होजाये,अब सब परे.
हर लाचार की गगरी,अब सब अपनी सहमति से भरे।
फिर कोई लाचार, लाचार कहाँ रह पायेगा।
अपने बल से वो भी, फिर देश के विकास में हाथ बटायेगा।
लेखिका
प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता
