वक़्त — लेखिका प्रेरणा

प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता की कविता
वक़्त के धागे के साथ, जो खुदको नहीं सुलझाता है।
अपनी ज़िन्दगी कर तबाह, वो दूसरों को भी अपनी बातो में उलझाता है।
वक़्त को व्यर्थ कर, जो अपना समय बिताता है।
अपने दुखो का इल्ज़ाम, वो अक्सर दूसरों पर लगाता है।
वक़्त की अहमियत समझ,जो अपने अच्छे वक़्त में भी नहीं इतराता है।
दुखो की पीड़ा को भी वो प्यार से गले लगाता है।
वक़्त-वक़्त पर वक़्त ना देख, जो बस काम में मन लगाता है.
अपनी संगती में रख, वो दूसरों को भी जगाता है।
लेखिका
प्रेरणा मेहरोत्रा गुप्ता
